रविवार, 29 अक्तूबर 2017

भारतीय किसानों की स्थिति एवम् गाँधीजी के अनुसार इसका मूल्यांकन


भारत देश में किसानों पर हो रहे अत्याचार कोई नई बात नहीं है। भारतीय किसान अंग्रेजो के समय से ही अन्याय और जुल्म के शिकार हो रहे हैं | मैं बात करता हूं उस समय की जब महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे | उस समय संपूर्ण भारत देश के किसान ब्रिटिश शासन के अन्यायपूर्ण कानून से ग्रस्त थे | कुछ ऐसा ही हाल बिहार के चंपारण जिले का भी था | उस क्षेत्र में ब्रिटिश शासन द्वारा किसानों पर एक 'तीन कथिया' नामक दमनकारी कानून लागू किया गया था | जिसके तहत किराएदार किसानों को अपनी भूमि के 3/20 भाग पर नील की खेती करने के लिए मजबूर किया गया था जिसका बहुत ही कम मूल्य किसानों को दिया जाता था | इस कारण कई बार किसानों को खेती करने के लिए ऋण लेना भी पड़ जाता था | किसानों द्वारा उगाए हुए अन्न का एक  बड़ा हिस्सा टैक्स के रूप में देना पड़ता था| किसानों के छोटे बच्चों से सरकार अपने खेतों में मुफ्त काम करवाती थी उस समय गांव की महिलाओं को ब्रिटिश रानियों की चाकरी करने को बाध्य किया जाता था |
इन सब कारणों से किसानों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई  थी |

महात्मा गांधी के किसानों की स्थिति के बारे में विचार:-

महात्मा गांधी अपने संपूर्ण जीवन में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से किसानों के साथ जुड़े हुए थे | उन्होंने कहा था कि भारतीय जनता कुछ गिने चुने शहरों की बजाए भारत के 7 लाख  गांव में रहती है | भारत एक कृषि प्रधान देश है| अगर इस देश के अन्नदाता 'किसानों' के साथ अन्याय और अत्याचार होते हैं तो यह बड़ा ही  दुखद विषय है तथा मैं इसका विरोध कर किसानों को न्याय दिलाऊँगा | गांधी जी का उपर्युक्त कथन हमें देखने को मिलता है बिहार के 'चंपारण आंदोलन' के रूप में|
महात्मा गांधी ने जितने भी आंदोलन किए उनके केंद्र में 'किसान' था|

वर्तमान किसानों की स्थिति का विश्लेषण  :-
वर्तमान समय में और उस समय की किसानों की स्थिति जून में 19-20 का ही अंतर आया है |
आज भारत की 70% आबादी गांवो में रहती है जो प्रत्यक्ष - अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है|
61% कृषि वर्षा पर निर्भर करती है | सरकार द्वारा नहरे एवं भंडारण सुविधाएं (झीलो, बांधो आदि) के निर्माण के तहत है लेकिन वर्तमान स्थिति सुधारने के लिए पर्याप्त नहीं हैं |
महाराष्ट्र में भारत सरकार द्वारा निर्मित 40% बांध हैं परंतु वे उन स्थानों पर नहीं है जहां उनकी  आवश्यकता है जिस कारण इसका लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है |

आज के समय भारतीय किसानो की स्थिति अत्यंत दयनीय हैं जिसके बहुत से प्रमुख कारण हैं-
खेती करने के लिए बैंकों द्वारा लिए गए ऋण को चुकाने में असमर्थता, सुखे एवं बाढ जैसे अनियमित मौसम की स्थिति के कारण फसलों को नुकसान, अप्रिय सरकारी नीतियां,  जीएम फसलें, परिवार की मांग पूरी न कर पाना आदि ऐसे प्रमुख कारण है |

भारत एक कृषि प्रधान देश है तथा किसानों के बिना कृषि संभव नहीं हैं| वर्तमान में हमारे अन्नदाताओं की ऐसी परिस्थितियां देखकर आंखों में पानी आ जाता है |
आज भारतीय किसान गरीबी, भुखमरी, ऋण आदि से इतना त्रस्त हो गए हैं कि वे आत्महत्या पर उतारू हो गए हैं| एनसीआरबी के एक शोध के अनुसार भारत में `46 किसान' प्रतिदिन आत्महत्या कर रहे हैं |
वर्ष 2004 में सबसे अधिक किसानों (18241) ने आत्महत्या की थी |
वहीं पिछले वर्ष की बात करें तो लगभग 16000 किसानों ने इन समस्याओं से तंग आकर आत्महत्या की थी|
पिछले कुछ दिनों से भारत के विभिन्न राज्यों में किसानों द्वारा कर्ज माफी के लिए जगह-जगह आंदोलन किए जा रहे हैं | राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में भी किसान अपने 11 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं|
वर्तमान की किसानों संबंधी ये स्थितियां  किस प्रकार सुधारी जाए यह एक विचारणीय मुद्दा है |

मेरे विचार - भारतीय किसानों की जो वाजिब मांगे हैं उन्हें सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया जाना चाहिए | किसानों की हालत सुधारने के लिए उन्हें खेती की  आधुनिक विधियां सिखाई जानी चाहिए|  उन्हें साक्षर बनाना चाहिए | उनके शिक्षित होने के नाते उन्हें बहुत मदद मिलती है वे प्रयोगशाला में अपने खेतों की मिट्टी का परीक्षण करवा लेंगे जिससे वे समझ जाएंगे कि उनके क्षेत्र में सर्वाधिक फसल किसकी होगी | कुछ राज्यों में फसल चक्र प्रणाली और अनुबंध फसल प्रणाली शुरू कर दी गई है | इस तरह के कदम किसानों को सही दिशा में ले जाते हैं और लंबे समय तक कृषि करने में मदद मिलती है| वर्तमान में कुछ दिनों से किसानों द्वारा जगह-जगह आंदोलन किए जा रहे हैं | वे अपनी मांगे मनवाने के लिए चक्काजाम, धरना, रैली निकाल रहे हैं |
उनका ये आंदोलन सही  भी है,  मैं उनका समर्थन करता हूं लेकिन आज मुद्दा धीरे-धीरे राजनीतिक बन रहा है जो गलत है | कुछ स्थानों पर चक्काजाम, धरने आदि के लिए लोगों को पैसे देकर लाया जा रहा है , कुछ ऐसे भी किसान हैं जो अपने कुछ ऐसे भी किसान हैं जो अपने आलीशान बंगलों से अपनी लग्जरी गाड़ियो में बैठकर आंदोलन, धरने के लिए आते हैं| क्या यही वे किसान हैं? या फिर वे लोग जो वास्तव में भुखमरी, बीमारी, गरीबी से जूझ रहे हैं वे किसान हैं | ये भी एक सोचने वाली बात है | मेरे विचार यह है कि सरकार को जो किसान वास्तव में कर्ज माफी या किसानों की अन्य जो मांगे हैं , के हकदार हैं , उनकी मांगे सरकार को पूरी कर देनी चाहिए |

                       आयुष
                बी. ए. प्रथम वर्ष
  परिष्कार कॉलेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस , जयपुर

गुरुवार, 12 अक्तूबर 2017

लोकतंत्र और सतत् विकास

लोकतंत्र (डेमोक्रेसी) शब्द की उत्पत्ति ग्रीक मूल शब्द डेमोस से हुई है जिसका अर्थ है 'जनसाधारण' और इस शब्द में 'क्रेसी' शब्द जोड़ा गया है जिसका अर्थ  'शासन' होता है| इस प्रकार डेमोस + क्रेस= डेमोक्रेसी का शाब्दिक अर्थ होता है 'जनता का शासन' |

अब्राहम लिंकन ने लोकतंत्र को परिभाषित करते हुए कहा कि लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए, जनता द्वारा शासन है  | लोकतंत्र एक ऐसी शासन व्यवस्था है जिससे लोक सहमती की आवश्यकता होती है| इसमें निर्णय जनता की सहमति से लोकहित में लिए जाते हैं, जिसमें जनता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से शासन में भागीदारी करती है| जनता की प्रत्यक्ष भागीदारी में शासन संबंधी सभी निर्णय स्वयं जनता द्वारा लिए जाते हैं, जबकि अप्रत्यक्ष भागीदारी में जनता के प्रतिनिधि शासन संबंधी निर्णय  करते हैं | ये प्रतिनिधि समय-समय पर जनता के बीच जाकर अपना विश्वास हासिल करते हैं ताकि उनके प्रति विश्वास की निरंतरता का स्पष्टीकरण हो सके|

लोकतंत्र में राजनीतिक व्यवस्था के बारे में सोचने पर लोकतंत्र की प्रमुख विशेषताएं ध्यान में आती है -
१. जनता की इच्छा की सर्वोच्चता
२.जनता द्वारा चुनी हुई सरकार
३.निष्पक्ष आवधिक चुनाव
४.वयस्क मताधिकार
५. उत्तरदायी सरकार
६. सीमित तथा संवैधानिक सरकार
७. सरकार के हाथ में राजनीतिक शक्ति जनता की अमानत के रूप में
८.सरकार के निर्णयो में सलाह, दबाव तथा जनमत के द्वारा जनता का हिस्सा
९. जनता के अधिकारों एवं स्वतंत्रता की हिफाजत करना सरकार का कर्तव्य
१०.निष्पक्ष न्यायालय
११. कानून का शासन
१२.  विभिन्न राजनीतिक दलो तथा दबाव समूहो की उपस्थिति
लोकतंत्र में  विकास एक सतत् प्रक्रिया है , इसे रुकना नहीं चाहिए|

सतत् विकास (सस्टेनेबल डेवलपमेंट) मूलतः दो  शब्दों 'सस्टेनेबल' व 'डेवलपमेंट' से मिलकर बना है | हिंदी भाषा में इनका अर्थ क्रमश: स्थायी, सतत व विकास होता है |
ब्रंटलेंड कमीशन के अनुसार सतत विकास वह अवधारणा है जिसमें भविष्य की पीढियो की जरूरतों में किसी तरह के समझौते किए बगैर वर्तमान आवश्यकताओं को पूरा करना है |
संयुक्त राष्ट्र के 193 सदस्य देशों ने 25 सितंबर 2015 को आयोजित 'सस्टेनेबल डेवलपमेंट समिट' में सतत विकास के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए 'एजेंडा फॉर 2030' को स्वीकार किया | इसके तहत वर्ष 2030 तक गरीबी, असमानता व  अन्याय के खिलाफ संघर्ष और जलवायु परिवर्तन की समस्याओं से निपटने के लिए17 सतत विकास लक्ष्य क्या है , जो इस प्रकार है-
1.गरीबी से मुक्ति
2.भुखमरी से मुक्ति
3.बेहतर स्वास्थ्य
4.गुणवत्तापूर्ण शिक्षा
5.लैंगिंग समानता    
6. स्वच्छ जल व स्वच्छता
7.सुलभ एव स्वच्छ ऊर्जा
8. उचित रोजगार तथा आर्थिक विकास
9.  उद्योग ,नवोन्मेष और बुनियादी ढांचा
10. समानता उन्मूलन
11. स्थायी शहर और समुदाय
12.स्थायी खपत और उत्पादन
13. जलवायु
14.जल में जीवन
15.भूमि पर जीवन
16.शांति अन्याय एवं मजबूत संस्थान
17. लक्ष्यो के लिए भागीदारी l

वर्तमान में भारत के समक्ष सतत विकास से जुड़ी बहुत सी चुनौतियां है जैसे -
>  सतत विकास के लक्ष्यों के लिए धन उपलब्ध कराना- एक अध्ययन के अनुसार 2030 तक लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत को 14.4 अरब डॉलर खर्च करना होगा |
>  आर्थिक वृद्धि और संपत्ति का समुचित वितरण में संतुलन न होना - वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र के अध्ययन में बताया गया था कि 2010 तक दुनिया के1.2अरब बेहद गरीब लोगों में से एक तिहाई संख्या भारत में बसती है|
> निगरानी और जिम्मेवारी -उचित संख्यनात्मक तंत्र अभी तक नहीं बनाया जा सकता है |
> प्रगति का मापन- उपलब्धियों का आंकलन और मापन करना भी जरूरी है|

भारत सरकार द्वारा क्रियान्वित किए जा रहे अनेक कार्यक्रम सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप है जिसमें -मेक इन इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण और शहरी दोनों, डिजिटल इंडिया, दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना, स्किल इंडिया, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना शामिल है l                                  

आयुष
बी.ए. प्रथम वर्ष
परिष्कार कॉलेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस,जयपुर