महगांई दिन रात बढ़ती हैं मेरे देश में
संचालक सोये रहते हैं सफेद ड्रेस में
हर इंसान जीना चाहता है,
छल कपट और द्वेष में ।
भ्रष्टाचारी मिलता हैं,
हर रंग के भेष में।
शैतान घूमते रहते साधुओं की ड्रेस में
फिर भी कानून चुप है,
लाचारी के इस देश में
इंसानियत बस चंद सांसे
गिन रही इस परिवेश में।
मूल्य नीति, संस्कार
पहले ही दम तोड़ चुके
पश्चिम के आगोश में
कितना मुश्किल है
लेकिन सच है ये कहना
आज भी चुप्पी साधे हुए है
लोग मेरे देश में।
अर्चना
बी.ए.३
मंगलवार, 1 अक्टूबर 2019
आज का भारत देश
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