मंगलवार, 12 सितंबर 2017

अनुच्छेद 370 क्या हैं ?

अनुच्छेद 370 क्या है ?    
                                               
जम्मू कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है जम्मू कश्मीर का राष्ट्रीय ध्वज अलग होता है ।
जम्मू कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्ष एवं अन्य राज्यों के विधानसभा का कार्यकाल 5 वर्ष होता है।
जम्मू कश्मीर में राष्ट्रध्वज एवं राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं है।
भारत के उच्चतम न्यायालय के आदेश जम्मू कश्मीर के अंदर मान्य नहीं होते हैं।
भारत की संसद जम्मू कश्मीर के संबंध में अत्यंत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है।
जम्मू कश्मीर की कोई भी महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से शादी कर ले तो उसकी नागरिकता समाप्त हो जाएगी इसके विपरीत यदि वह महिला पाकिस्तान के व्यक्ति से शादी कर ले तो उसे भारत की नागरिकता मिल जाती है।
जम्मू कश्मीर में RTI , RTE  और CAG लागू नहीं होता है।
कश्मीर में महिलाओं पर शरिया कानून लागू होता है।
कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं है।
कश्मीर में चपरासी को 2500 रुपए ही मिलते हैं।
कश्मीर में अल्पसंख्यकों को 16 प्रतिशत आरक्षण नहीं मिलता है।
धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
धारा 370 की वजह से पाकिस्तानियों को भी भारतीय नागरिकता मिल जाती है, इसके लिए पाकिस्तानियों को केवल किसी कश्मीर की लड़की से शादी करनी पड़ती है।।   

     अनुच्छेद 370 पर मेरे अपने विचार :-
अनुच्छेद 370 उस वक्त प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सबसे बड़ी भूल थी और उन्होंने किसी की नहीं सुनी धारा को लागू कर दिया  । धारा 370 एवं अनुच्छेद 35 से कश्मीर के लोगों को मेरे विचार से कोई लाभ प्राप्त नहीं होता है| जब इसके हटाने की बात आती है तो  वहां के नेता एवं अलगाववादी नेताओं के कान खड़े हो जाते हैं, क्योंकि सबसे ज्यादा लाभ इस तरह से नेताओं को ही होता है और उन्हें यह डर सताता है कि कहीं हमारी सुरक्षा सरकार द्वारा दिए गए लाभ हट नहीं जाए | भारत का कोई कानून कश्मीर में लागू नहीं हो सकता है इससे कश्मीर का विकास नहीं हो पाता है|  जवाहरलाल नेहरु ने कहा था कि यह धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा बल्कि उनका मत गलत साबित हो गया|  मैं एक भारत का आम नागरिक होने के कारण मैं इस बात का समर्थक हूं कि धारा 370 हटनी चाहिए| अन्यथा कश्मीर कभी भी विकास के पथ पर नहीं चल पाएगा और आने वाले दिनों में कहीं यह हमारे हाथों में से  चला न जाए| इसे एक विशेष दर्जा होने से देश में विभाजन की स्थिति फैल रही है|  इसी कारण कर्नाटक राज्य ने अपने अलग झंडे की मांग की ओर वह अच्छा हुआ कि खारिज हो गई|  कश्मीर में भारत के अन्य राज्यों के लोग वहां जाकर नहीं रह सकते हैं और नेहरु जी  अंतर्राष्ट्रीय नेता बनने के चक्कर में कश्मीर समस्या का अंत राष्ट्रीयकरण कर दिया|

जसवंतसिंह
बी.ए. प्रथम वर्ष
परिष्कार कॉलेज ऑफ ग्लोबल एक्सीलेंस
जयपुर (  राज. )

4 टिप्‍पणियां:

  1. जसवंत सबसे पहले आपको इस पोस्ट की बहुत बहुत बधाई। आपका लेख तथ्य स्पष्ट करने के बाद आपके विचारों से अवगत करवाता है, जो कि अपनी बात कहने के बेहतरीन तरीके को दर्शाता है। मुझे लगता आपने जो कहा वो भारतीय राजनीति का अहम मुद्दा है, जिस पर काफी वर्षों से चर्चा चली आ रही है और चर्चा होना भी जरूरी है।
    परन्तु मैं आपसे अपेक्षा करता हूँ कि आप निश्चित तौर पर एक लेख और लिखेंगे, जिसमे बताएंगे कि धारा 370 को हटाने में क्या बाधाये है, किस प्रकार राष्ट्रीय एकता और शांति बनाए रखते हुए इसे हटाया जा सकता है और अगर नही हटाई जा सके तो क्या क्या विकल्प हो सकते हैं। आशा है आपका अगला लेख हमे जल्दी पढ़ने को मिलेगा।
    एक बार पुनः आपके प्रयास के लिए बधाई। धन्यवाद।

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  2. स्नातक के प्रथम वर्ष में इस प्रकार का लेख लिखना सराहनीय बात है लेकिन मैं इस बात पर भी सलाह देना चाहूंगा कि इस पर अन्य आयामों से भी सोचने का प्रयास करें। और रचनात्मक विचारों के द्वारा अपने आप को परिष्कृत करें। बेहतरीन प्रयास

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  3. बहुत अंच्छा लेख है जसवन्त

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