मंगलवार, 1 अक्तूबर 2019

आज का भारत देश


महगांई दिन रात बढ़ती हैं मेरे देश में
संचालक सोये रहते हैं सफेद ड्रेस में
     हर इंसान जीना चाहता है,
    छल कपट और द्वेष में ।
    भ्रष्टाचारी मिलता हैं,
      हर रंग के भेष में।
शैतान घूमते रहते साधुओं की ड्रेस में
      फिर भी कानून चुप है,
      लाचारी के इस देश में
     इंसानियत बस चंद सांसे
     गिन रही इस परिवेश में।
     मूल्य नीति, संस्कार
     पहले ही दम तोड़ चुके
     पश्चिम के आगोश में
     कितना मुश्किल है
     लेकिन सच है ये कहना
    आज भी चुप्पी साधे हुए है
     लोग मेरे देश में।
                                   अर्चना
                                   बी.ए.३

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