रविवार, 1 जनवरी 2017

ग्लोबल वार्मिंग: वर्तमान परिदृश्य

ग्लोबल वार्मिंग, जो बहुत ही सुना सा शब्द लगता है, लेकिन इस पर कोई ध्यान नहीं देना चाहता। जिस तरह प्राकृतिक आपदा कभी भी, किसी को बोल कर नही आती और भारी जन धन की हानि देकर जाती है। जैसे- सुनामी, भूकम्प, अतिवृष्टि, भीषण गर्मी आदि। आज भी हम ग्लोबल वार्मिंग की समस्या देख तो रहे है, परन्तु उसे नजर अंदाज कर रहे है, जबकि आने वाले वर्षों में ग्लोबल वार्मिंग का असर और भी ज्यादा दिखने लगेगा।

ग्लोबल वार्मिंग क्या है?
ग्लोबल वार्मिंग जिसे सामान्य भाषा में भूमंडलीय तापमान में वृद्धि कहा जाता है। पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मात्रा ज्यादा होनी चाहिये, परन्तु बढ़ते प्रदूषण के साथ कॉर्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है, जिसका असर ग्रीन हाउस पर पड़ रहा है। ग्रीन हाउस के असंतुलन के कारण ही ग्लोबल वार्मिंग हो रही है।

ग्रीन हाउस क्या है?
सभी प्रकार की गैसों से, जिनका अपना एक प्रतिशत होता है, उन गैसों सेबना ऐसा आवरण है जो कि पृथ्वी पर सुरक्षा परत की तरह काम करता है, जिसके असंतुलित होते ही ग्लोबल वार्मिंग जैसी भीषण समस्या सामने आती है।

ग्लोबल वार्मिंग क्यों हो रही है?
ग्लोबल वार्मिंग का सबसे बड़ा कारण प्रदूषण है। आज के समय के अनुसार प्रदूषण और उसके प्रकार बताना व्यर्थ है। हर जगह, हर क्षेत्र में यह बढ़ रहा है। जिससे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा बढ़ रही है, फलस्वरूप ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है। आधुनिकीकरण के कारण पेड़ो की कटाई, गाँवो का शहरीकरण में बदलाव, हर खाली जगह पर बिल्डिंग, कारखाना या अन्य कोई कमाई के स्रोत खोले जा रहे हैं। खुली एवं ताज़ी हवा के लिए कोई स्रोत नही छोड़े। गिनाने के लिए और भी कई कारण है। पृथ्वी पर हर चीज का एक चक्र चलता है, हर चीज एक दूसरे से कही ना कही जुड़ी रहती है। एक के हिलते ही पृथ्वी का पूरा चक्र हिल जाता है, जिसके कारण भारी नुकसान का सामना करना पड़ता है।

ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव:-
जिस तरह प्राकृतिक आपदा का प्रभाव पड़ता है, उससे भारी नुकसान उठाना पड़ता है। बिल्कुल उसी तरह ग्लोबल वार्मिग एक ऐसी आपदा है जिसका प्रभाव धीरे धीरे होता है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण बात है कि ग्लोबल वार्मिंग से हो रहे नुकसान की भरपाई मनुष्य अपनी अंतिम सांस तक नही कर सकता। जैसे- ग्लोबल वार्मिंग के चलते कई पशु-पक्षी एवं जीव-जंतुओं की प्रजाति विलुप्त हो गई है। बहुत ठंडी जगह जहाँ, बारह महीनों बर्फ की चादर ढकी रहती थी, वहां बर्फ पिघलने लगी, जिससे जल स्तर में वृद्धि होने लगी है। पृथ्वी पर मौसम के असंतुलन के कारण चाहे जब अति वर्षा, गर्मी व ठंड पड़ने लगी है या सूखा रहने लगा है, जिसका सबसे ज्यादा असर फसलों पर पद रहा है। जिससे पूरा देश आज की तारीख में महंगाई से लड़ रहा है। ग्लोबल वार्मिंग से पर्यावरण का सबसे ज्यादा नुकसान हो रहा है। जिस से हर व्यक्ति छोटी से लेकर बड़ी तक किसी ना किसी बीमारी से ग्रस्त है। शुद्ध ऑक्सीजन न मिलने के कारण व्यक्ति घुटन की जिंदगी जीने लगा है।

ग्लोबल वार्मिंग की समस्या पर मेरे सुझाव:-
ग्लोबल वार्मिंग के लिए बहुत आवश्यक है "पर्यावरण बचाओ, पृथ्वी बचेगी।" बहुत ही छोटे छोटे दैनिक जीवन में हो रहे कार्यों में बदलाव को सही दिशा में ले जाकर इस समस्या को सुलझाया जा सकता है।

# पेड़ों को अधिक से अधिक मात्रा में मौसम के अनुसार लगाये।
# लंबी यात्रा के लिए कार की बजाय ट्रेन से यात्रा करे।
# दैनिक जीवन में जहां तक संभव हो सके दुपहिया वाहनों की बजाय सार्वजनिक बसों या यातायात के साधनों का उपयोग करे।
# बिजली से चलने वाले साधनों की अपेक्षा सौर ऊर्जा वाले साधनों का उपयोग करे।
# जल का दुरूपयोग न करें, प्राचीन एवं प्राकृतिक जल संसाधनों का नवीनीकरण ऐसे न करें, जिससे वह नष्ट हो जाये।
# आधुनिक वस्तुओं के उपयोग को कम कर घरेलु एवं देशी साधनों का उपयोग करे।

पंकज कुमार चंदेल
B.A. Final Year
परिष्कार कॉलेज

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