रविवार, 18 दिसंबर 2016

जम्मू कश्मीर एवं भारत

भारत का इतिहास एक शांतिप्रिय देश के रूप में रहा है। लेकिन जब हम बात जम्मू कश्मीर पर करते हैं, जिसे भारत का दिल, स्वर्ग, सिरताज आदि नामों से संबोधित किया जाता है। आजादी से पहले जम्मू कश्मीर भी एक रियासत थी, लेकिन इसके ऊपर अंग्रेजों का सीधा नियंत्रण नहीं था। जब देश का विभाजन 14-15 अगस्त 1947 में हुआ तो इसके तत्कालीन राजा हरि सिंह ने यह घोषणा कि वह ना तो भारत में शामिल होंगे और ना ही पाकिस्तान में। परंतु 1948 में पाक ने कबाइलियों के माध्यम से जम्मू कश्मीर पर आक्रमण किया, उस समय राजा हरिसिंह ने भारत की सरकार से आर्थिक सहायता मांगी तो हिंदुस्तान ने उसकी मदद की, तो हरी सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिया। परंतु वर्तमान में कुछ क्षेत्र पाकिस्तान के पास तथा कुछ भाग चीन के पास है। वैश्विक दृष्टि से यह एक ज्वलंत समस्या बन गई है, इसके समाधान के लिए निम्न बिंदु दिए जा सकते हैं:-

i. प्रत्येक गांव के लिए अलग से स्कूल होना चाहिए ताकि प्रत्येक बच्चे को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा मिले।
ii. स्थानीय संसाधनों का समुचित विकास करना चाहिए जिससे लोगों का अपने सरकार के प्रति विश्वास उत्पन्न हो।
iii. प्रत्येक व्यक्ति को रोजगार उपलब्ध करवाना क्योकि बेरोजगार व्यक्ति राज्य के विरुद्ध क्रांति के बारे में विचार करता है।
iv. धीरे धीरे परिवर्तन की लहर को पूरे राज्य में प्रसारित करने क्योकि यहाँ के अलगाववादी संगठन परिवर्तन का पुरजोर विरोध करते हैं।
v. जम्मू कश्मीर की प्रत्येक महिला को पूर्ण शिक्षित करने की जिम्मेदारी सरकार की होनी चाहिए क्योंकि एक महिला एक परिवार को शिक्षित करती है।
vi. जम्मू कश्मीर के लोगों में राष्ट्रवाद की भावना का संचार करना होगा क्योंकि ये लोग आज भी अपने आप को मन से भारतीय नहीं मानते हैं।

अतः हम इस प्रकार कह सकते है जम्मू कश्मीर की समस्या एक जन समस्या बन गई है। जिसका समाधान बातचीत एवं स्थानीय विकासात्मक योजनाओं से किया जा सकता है। इसके लिए दोनों पक्षों के द्वारा एक दूसरे के नियमों का पालन करना एवं छद्म युद्ध को रोकना आवश्यक है क्योंकि इसके द्वारा दोनों देशों में तनाव उत्पन्न होता है।

सरिता वर्मा
B.A. Final
परिष्कार कॉलेज

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