रविवार, 18 दिसंबर 2016

मुद्रा का नवीनीकरण

वर्तमान में कार्यरत एनडीए सरकार ने 8-9 अक्टूबर, 2016 की मध्यरात्रि को नोटबंदी का फैसला दिया। इसके अंतर्गत संपूर्ण देश में 500 एवं 1000 के नोटों को बंद करने का फैसला एवं नए नोटों का भारतीय अर्थव्यवस्था में चलन की घोषणा की गई।
इस फैसले ने संपूर्ण देशवासियों को अचंभित कर दिया लेकिन यह फैसला क्यों लिया गया एवं कितना कारगर साबित होगा इस विषय में हम थोड़ी चर्चा करते हैं।

*ये विराट फैसला क्यों लिया गया?
कालाधन इस फैसले का केंद्रीय बिंदु है।

कालाधन Black money is not black money it is a result of black activities.
जनता द्वारा सरकार को स्वार्थवश नहीं चुकाया जाने वाला "कर" ही काला धन है।

अब तक मुद्रा नवीनीकरण का फ़ैसला
1946 में रियासतों में चलने वाली मुद्रा का एकीकरण।
1978 में मोरारजी देसाई की सरकार द्वारा 5000 एवं 10000 की नोट बंदी।
2016 में 1000 एवं 500 के नोटों की बंदी।

यहां हम काले धन को एक उदाहरण से समझते हैं-
माना वस्तु की उत्पादन लागत 100 रुपए हैं और अप्रत्यक्ष कर लगने के बाद उसकी कीमत 135 है, इस प्रकार 135 रुपए में 35 रुपए कर के रूप में है जो कि 135 रुपए का 26 प्रतिशत होता है।
सरकार को अप्रत्यक्ष कर के रूप में 26 प्रतिशत मिलना चाहिए परन्तु जीडीपी में अप्रत्यक्ष कर का भाग मात्र 11.4% प्राप्त होता है। अतः बचा हुआ 14.7% ही कालाधन है। भारत की जीडीपी लगभग 2 ट्रिलियन डॉलर की है।
Note:- यदि हमारे जीडीपी का लगभग 15% प्रतिवर्ष कालाधन होता है तो 6 वर्षों में काला धन लगभग 1 वर्ष की हमारी जीडीपी के बराबर हो जाएगा।

अतः इस स्थिति को ध्यान में रखकर प्रधानमंत्री ने यह फैसला लिया, जिसके अंतर्गत भारत मुद्रा के 86 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले 1000 एवं 500 के नोटों का नवीनीकरण किया गया।

आइए अब हम जानते हैं कि इस फैसले का हमारे ऊपर क्या असर पड़ेगा-
1. आर्थिक प्रभाव- इस फैसले से आर्थिक प्रभाव के दो पक्ष सामने है-
प्रथम दीर्घकालिक एवं सकारात्मक
i. आधारभूत ढांचे का विकास:- इसके अंतर्गत आधारभूत सुविधाएं परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य इत्यादि का विकास किया जाएगा। जिस के निम्न परिणाम होंगे-
भारत में आधारभूत सुविधाओं का विकास जिससे रोजगार में वृद्धि, रोजगार में वृद्धि से क्रय शक्ति में वृद्धि, क्रय शक्ति में वृद्धि से गरीबी में कमी आएगी।
Note:- वर्तमान में कार्यरत सरकार का लक्ष्य है कि वह 10 लाख नौकरियां प्रतिमाह उपलब्ध करवाएगी जो आधारभूत विकास से ही संभव है।

ii. कर में कमी:- हमारे देश में जीडीपी में अप्रत्यक्ष कर का 26 प्रतिशत सरकार को मिलना चाहिए लेकिन इसका मात्र 11.4 प्रतिशत ही सरकार को प्राप्त होता है जिसका कारण काला धन है। अतः काले धन को समाप्त होने से सरकार को अप्रत्यक्ष कर का 26 प्रतिशत मिलेगा। जिससे स्वतः ही सरकार जन सुविधाओं को ध्यान में रखकर कर की दरों में कमी करेगी।

iii. कर्ज की ब्याज दरों में कमी:- इस योजना के कारण अप्रत्यक्ष रुप से बैंकों के एनपीए में कमी आएगी तथा बैंकों के पास जनता द्वारा जमाएं अधिक मात्रा में करवाने के कारण बैंकों के पास ऋण देने के लिए अधिक धन होगा। जिसके कारण वह अपनी ब्याज दर घटायेगा। जिसका एक प्रभाव निवेश में वृद्धि के रूप में होगा, जो आगे चलकर रोजगार के साथ आर्थिक विकास को बढ़ाएगा।

iv. तकनीकी विकास:- नोट बंद के कारण भारत में प्लास्टिक मनी बढ़ेगी जिसके फलस्वरुप स्वत: ही भारत में इंटरनेट की बढ़ोतरी होगी और इंटरनेट के विस्तार से तकनीक का स्वत: ही विकास हो जाएगा।

v. कर प्रणाली का व्यवस्थित रूप:- अधिकांश लोगों द्वारा कर चोरी की जाती रही है। सरकार के इस सशक्त कदम के बाद अधिकांशत: कर चोरी की समस्या खत्म हो जाएगी एवं कम कर से प्रत्येक व्यक्ति संतुष्ट रहेगा एवं समय पर कर चुकाएगा।

द्वितीय अल्पकालीन एवं नकारात्मक प्रभाव:-

i. मुद्रा के चलन में कमी:- नए नोटों को जनता अपने पास द्रव रूप में रखना चाहती है, जिससे धन प्रवाह में कमी हुई है और यह समस्या लगभग जनवरी-फरवरी 2017 तक भारतीय अर्थव्यवस्था में बने रहने की संभावना है।

ii. विकास दर में कमी:- लोगों के पास नई मुद्रा कम होने के कारण क्रय शक्ति में कमी हुई है। जिससे वृद्धि दर में अनुमानित 0.5 से 1% की कमी रहेगी।

2. रक्षात्मक प्रभाव

i. कश्मीर शांति:- नोट बंदी के फलस्वरूप अलगाववादियों द्वारा नवयुवकों को रुपयों का लालच देकर जो हिंसात्मक गतिविधियां करवाई जा रही थी उसमें कमी आई है।

ii. नकली नोटों की छपाई पर पूर्णतया रोक:- आरबीआई द्वारा 1000 एवं 500 का कागज USA से लाया जा रहा था, जो अनुमान के अनुसार USA द्वारा पाकिस्तान एवं बांग्लादेश को भी उपलब्ध करवाया जा रहा है। जिससे नकली नोटों की छपाई एवं आतंकवादी गतिविधि में बढ़ोतरी हो रही थी।
वर्तमान में प्रचलित 500 एवं 2000 के नोटों का कागज जर्मनी से मंगवाया जा रहा है, जिससे कि नकली नोटों के छपने पर पूर्णतया रोक लगेगी।

3. वैश्विक अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:- अंतर्राष्ट्रीय व्यापार रुपयों में ना होकर डॉलर में होता है, अतः मुद्रा परिवर्तन से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। अतः सकारात्मक प्रभाव की बात करें तो...
कर में कमी >अधिक आय> निवेश में वृद्धि> उत्पादन में वृद्धि> निर्यात में वृद्धि> विदेशी मुद्रा का अधिक अर्जन ।

मूल्यांकन:- किसी भी सरकार के द्वारा उठाया गया कदम तत्कालीन परिस्थितियों की देन होती है और प्रत्येक सरकार का उद्देश्य राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखना होता है। अतः हमें दो पार्टियों की तुलना नकारात्मक रूप में न करते हुए अपने देश हित में लिए गए सकारात्मक निर्णय का समर्थन करना चाहिए। हमें किसी पार्टी के समर्थन एवं विरोध में नहीं पड़कर इस फैसले पर अपने विवेकानुसार निर्णय लेने की क्षमता रखनी चाहिए। सरकार की कुछ कदम भविष्य उन्मुखी होते हैं, जिनका परिणाम भविष्य में ही दिखाई देता है। हालांकि नोट बंदी के कारण सामान्य जनता को कुछ समय के लिए परेशानी वाजिब है, पर एक स्वच्छ, भ्रष्टाचार मुक्त एवं सुनहरे भारत के लिए यह कदम अपरिहार्य है।

अंजलि वर्मा
नरेश आमेटा
(B.A. Final Year)
परिष्कार कॉलेज

7 टिप्‍पणियां:

  1. Mera Desh Badal raha h. Ye rajnitik iksha Shakti ka ever best example h.

    जवाब देंहटाएं
  2. thanks a lot for giving information us and continue to written about current affairs.

    जवाब देंहटाएं
  3. धन्यवाद हमारे लेख को इस ब्लॉग का हिस्सा बनाने के लिए🙏🙏

    जवाब देंहटाएं
  4. Notebandi pr aapne vichar rahkne ke liye anjali & naresh ko bhut bhut badai....aap asi tarah likte rahe or bejte rahe or hamare giyan vardhan karte rahe....pankaj chandel

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. नरेश और अंजलि को इस लेख हेतु बधाई प्रकट करते हुए इस लेख पर राय प्रकट करते हुए कहना चाहूँगा कि इस लेख में सैद्धान्तिक रूप से किस प्रकार इस फैसले के सकारात्मक प्रभाव होंगे,का विश्लेषण किया गया परंतु इसके दुसरे पहलू विचार करने में हिचक दिखी। सरकारी जल्दबाज़ी,बैकिंग प्रणाली के निक्कमेपन व् अफसरशाही की लापरवाही के कारण आमजन को त्रस्त होना पड़ रहा है। जहाँ तक नकली करंसी की रोक की बात है तो हाल ही में हुए कश्मीर में आतंकी हमले में आतंकीयो के पास 2000 के गुलाबी वाले नए नोट मिले है। दलालो व् बैंककर्मियों का लाजवाब तालमेल रोज़ अखबारो में देखने को मिल रहा है। गाँवो में मोटे सूदखोरों के चेहरे पर लाली टस से मस नही हुई है। आज अपनी ही सरकार के राज में जनता अपने खर्च पर ही कैद हो गयी है।
    प्रधानमंत्री ने जिस आशा के अनुरूप इस योजना को लागू किया। काश!उनकी वो आशा पूरी हो व मेरा विश्लेषण मिथ्या साबित हो। 😉😉😉😉
    धन्यवाद्!
    जन की जय!

    जवाब देंहटाएं