सोमवार, 12 दिसंबर 2016

असहिष्णुता

विविधताओं से भरा यह भारत देश आज फिर से अपनी खोई हुई ख्याति अर्जित करने की ओर अग्रसर है।
इसमें बताने वाली कोई बात नहीं की किसी भी लोकतांत्रिक देश का सबसे महत्वपूर्ण मंत्र होता है। बिना किसी भेदभाव के सामाजिक न्याय की स्थापना करना!!
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश माना जाता है और माने भी क्यों ना?
भारत में विश्व बंधुत्व एवं अहिंसा के ज्ञान से दुनिया को एक नवीन दिशा दी, लेकिन आज विविधताओं से भरे  इस देश  में असहिष्णुता नामक दीमक लगे जा रही हैं!
क्या  यह सोच पाकिस्तान से ग्रहण कर रहे हैं हम??
या भारतीय जनता स्वयं इसका अनुभव कर रही है??
भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जिन्होंने रामराज का सपना देखा था!
क्या वह गलत था ??क्या सरदार पटेल का योगदान आज व्यर्थ है
या भीमराव अंबेडकर का संविधान गलत है?
असहिष्णुता का बीज आज भारतीय जनता में असंतोष पैदा कर रहा है। आप संसद की बात कर लो अभी कुछ दिनों पहले हमारे प्रिय नेताओं ने हमारी संसद को भी असहिष्णुता के नाम पर बांट दिया था!
आप सोचिए क्या असर होगा इस बात का भारतीय जनता पर" क्या यह राजनेताओं की आखिरी लड़ाई है?
या वास्तविक सच है!!
भारत के संविधान की प्रस्तावना में सर्वप्रथम "हम भारत के लोग" शब्द आया प्रस्तावना में यह भी लिखा है कि धर्म और उपासना की प्रतिष्ठा की स्वतंत्रता सभी लोगों को है,फिर क्यों असहिष्णुता के नाम पर समाज में भंग डाल रहे हैं!!
क्यों हो रहा है भेदभाव?
इस बात को नकारा नहीं जा सकता की पूरी दुनिया बहु आयामी असहिष्णुता के दौर से गुजर रही है!!
कहीं नस्लवाद, कहीं रंगभेद, कही धार्मिक कट्टरता तो कहीं लैंगिक भेदभाव आदि!!
जिसका कोई अंत नहीं है?
क्या राजनेता हर रोज असहिष्णुता के नाम पर यूं ही लड़ते रहेंगे ....?
आज भारतीय समाज में नए बदलाव की जरूरत है, लोगों की सोच को बदलने की जरूरत है, लोगों में नैतिकता लाने की जरूरत है और भारत में लगी असहिष्णुता नामक दीमक को मिटाने की जरूरत है और यह भारतीय जनता की सोच, उनकी विचार...
भाईचारे की भावना आदि इस दीमक को उखाड़ के फेंक सकते हैं।

राहुल शर्मा
MA final Political Science

3 टिप्‍पणियां:

  1. मित्र,
    आपने इस लेख में यह तो बताया कि भारत में असहिष्णुता है जिसका दायर विश्वव्यापी है। परंतु इस तरह के महौल बनने का कारण क्या है? इस पर प्रकाश नही डाला! किसी भी कार्य के पीछे एक कारण होता है। और उस कारण को बिना समझे हम किसी भी स्थिति का विश्लेषण नही कर सकते साथ ही, न ही किसी निष्कर्ष तक पहुँच सकते है।

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